Rajani katare

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तीरे नरबदा लागो मेला

                   "तीरे नरबदा लागो मेला"
                              लोक गीत 

तीरे नरबदा मैया, 
लागो है मेला गुंईयाँ, 
लागो है मेला, लागो है मेला, 
मोरी गुंईयाँ, 

अमर कंटक से, निकरी मैया, 
तीरे नरबदा बस गयीं गुंईयाँ, 
लागो है मेला..... 

जबलईपुर की गेल, पकर लयी, 
ग्वारीघाट में बस गयीं गुंईयाँ, 
लागो है मेला..... 

पावन पुण्य नगरी, हो गयी मैया, 
पीली चुनरिया ओढ़ली गुंईयाँ, 
लागो है मेला..... 

घूम घुमारो ले लओ, मोरी मैया ने, 
भेड़ाघाट पहुँच गयी गुंईयाँ, 
लागो है मेला..... 

धुआँधार रुप अनोखो,मोरी मैया को, 
लागी भीर भीरयी मोरी गुंईयाँ, 
लागो है मेला.....

दूधई दूध सो फेन, उफन रओ मैया, 
चमक चाँदनी चमकी मोरी गुंईयाँ, 
लागो है मेला..... 

दूर दराज से आ गये, लोग लुगाई मैया, 
नरबदा मैया देखन मेला मोरी गुंईयाँ, 
लागो है मेला..... 

तीरे नरबदा मैया, 
लागो है मेला गुंईयाँ, 
लागो है मेला, लागो है मेला, 
मोरी गुंईयाँ.....।। 

   लोक गीत रचना- रजनी कटारे "हेम"
          जबलपुर (म. प्र.)

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7 Comments

Gunjan Kamal

20-Feb-2024 03:07 PM

👏🏻👌🏻

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Dilawar Singh

19-Feb-2024 11:52 AM

अद्भुत अति सुन्दर सृजन 👌👌

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Mohammed urooj khan

19-Feb-2024 01:16 AM

👌🏾👌🏾👌🏾

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